बवासीर एक ऐसी बीमारी है जिससे लगभग 70 फीसदी लोग अपने जीवनकाल में कभी न कभी इससे प्रभावित हुए है। पहले बवासीर की समस्या अधिकतर ज्यादा उम्र वालें व्यक्तियों में होती थी लेकिन आज के समय में यह रोग बच्चों और युवाओं में भी पाया जाता है। बवासीर को मेडिकल की भाषा में हेमरॉइड्स के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें ऐनस के अंदर और बाहर के क्षेत्रों और रेक्टम के निचले हिस्से की शिराओं में सूजन आ जाती है। जिससे रोगी को मल त्याग करने में काफी जोर लगाना पड़ता है और उसे असहनीय दर्द भी होता है। ऐनस के अंदर और बाहर या किसी एक जगह मस्से जैसी स्थिति बन जाती है, जो कभी अंदर रहती हैं और कभी बाहर भी आ जाती हैं। उम्र बढ़ने के साथ बवासीर की समस्या भी बढ़ सकती है। अगर परिवार में किसी को यह समस्या रही है तो आप भी इस रोग के चपेट में आ सकते हो क्योंकि यह एक अनुवांशिक बीमारी है।
बवासीर के प्रकार
1- खूनी बवासीर - खूनी बवासीर वाले रोगियों को मल त्याग के समय ज्यादा तकलीफ तो नहीं होती लेकिन खून (Blood) आता है। शुरुआत के समय में मल त्याग के समय में थोड़ा खून आता है लेकिन एक वक्त के बाद काफी मात्रा में खून आने लगता है। इसमें मस्सा अंदर या बाहर दोनों की स्थिति में रहता है।
2- बादी बवासीर - बादी बवासीर रहने पर पेट हमेशा खराब रहता है और कब्ज बना रहता है। बादी बवासीर में जलन, दर्द, खुजली, शरीर मै बेचैनी, काम में मन न लगना आदि शिकायत रोगियों में पाई जाती है। वादी बवासीर में रोगी को असहाय जलन और पीड़ा हो सकती है। बवासीर अधिक समय से होने पर भगन्दर का रुप धारण कर लेता है।
बवासीर होने के कारण
बवासीर लम्बे समय तक आपके पेट में कब्ज की स्थिती बना रहना सबसे मुख्य कारण है। क्योंकि इस स्थिती में आपका पेट साफ नहीं रहता है।
· सुबह-शाम शौच न जाने या शौच जाने पर ठीक से पेट साफ न होना।
· शौच के समय जोर लगाना
· टॉयलेट में काफी देर तक बैठना
· वंशानुगत भी इसका प्रमुख कारण है
· डायरिया की समस्या।
· भोजन में पोषण की कमी के कारण।
· अधिक तला-भुना या मसालेदार भोजन खाने से।
· अत्यधिक दवाओं के सेवन से।
अगर आप की दिनचर्या अधिक भाग-दौड़ वाली है या फिर आप शारीरिक व्यायाम नहीं करतें हैं तो भी ये समस्या आपको हो सकती है. भले ही आपके परिवार में किसी और को ये समस्या न रही हो. लेकिन आपकी गलत आदतें इसका कारण बन सकती हैं. इसलिये आप अपनी दिनचर्या में सुधार जरूर कर लें.
बवासीर के लक्षण
आमतौर पर पाइल्स बहुत ज्यादा गंभीर नहीं होते और तीन-चार दिन में अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। कई बार तो लोगों को पता भी नहीं चलता कि उन्हें बवासीर की समस्या भी हैं। बवासीर के निम्न लक्षण हो सकते हैं:-
· ऐनस के इर्द-गिर्द एक कठोर गांठ जैसी महसूस हो सकती है। इसमें ब्लड हो सकता है, जिसकी वजह से इनमें काफी दर्द होता है।
· टॉयलेट के बाद भी ऐसा महसूस होना कि पेट साफ नहीं हुआ है।
· शौच के वक्त खून आना।
· शौच के वक्त म्यूकस का आना और दर्द का अहसास होना।
· ऐनस के आसपास खुजली होना और उस क्षेत्र का लाल और सूजन आ जाना।
· ऐनस में लगातार दर्द की स्थिती बना रहना
· शौच के वक्त काफी दर्द महसूस होना
बवासीर के रोगियों को ध्यान देनें वाली बातें
कब्ज बवासीर का सबसे प्रमुख कारण है। कब्ज से बचने के लिए सही मात्रा में हरी और रेशेदार सब्जियां खाएं, ताजे फल खाएं और खूब पानी पिएं।
सॉफ्ट टॉयलेट पेपर का प्रयोग करें और पोंछने की बजाय पेपर से हल्के से थपथपाएं।
ढीले अंडरवेयर पहनें। टाइट अंडरवेयर की वजह से मस्से पर रगड़ आ सकती है, जिससे आपको दर्द का एहसास होगा।
बवासीर मरीज को मल त्याग के दौरान जोर लगाने से बचना चाहिए।
टॉयलेट में ज्यादा देर तक ना बैठें।