14 साल का राजू यादव जो की हजारीबाग, झारखंड में अपने माता-पिता और दो भाइयों के साथ रहता था। जब वो छठी क्लास में था तभी उसे अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, वजह था परिवार पर हज़ारों का कर्ज और माता-पिता की खराब तबियत। राजू भाइयों में सबसे बड़ा था और परिवार की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने का दबाव उस पर आ पड़ा। पैसा कमाने की चाहत उसे मुंबई ले आई, जहां वो अपने एक चाचा जो कि टेक्सी चलाते थे उनके साथ रहने लगा। जल्द ही राजू 2000 की नौकरी पर एक चाय की दुकान पर लग गया। जगह थी मुंबई का चीरा बाजार। वह रोज सुबह 5 बजे काम पर लग जाता और आस -पास की दुकानो और ऑफिस में चाय पहुंचाता था, उन्ही में से एक सगाई डॉट कॉम का भी ऑफिस था, जो बाद में शादी डॉट कॉम के नाम से जाना जाने लगा।
राजू को बतौर चायवाला काम करते अभी कुछ ही महीने हुए थे कि किसी ने उसे सगाई डॉट कॉम के ऑफिस में में छोटे -मोटे काम करने का ऑफर दे दिया। राजू ने कुछ सोचा और इस काम के लिए तैयार हो गया। अब उसे पहले से 500 रुपये अधिक मिलने लगे और टाइम भी कम देना होता था। राजू शादी डॉट कॉम के कर्मियों को को चाय देना, पानी की डिब्बे बदलना, चेक जमा करना जैसे काम करने लगा। छोटी उम्र में ये सब करते देख कई लोग उसे आगे पढ़ने की सलाह देते थे।
राजू का कहना है की जब मैं मुंबई आया तो मुझे एहसास हुआ कि शिक्षा से बहुत फर्क पड़ता है कि लोग कैसे रहते और काम करते हैं। मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहता था मुझे लगा कि शादी डॉट कॉम पर मैं अपने सपने पूरे कर पाउँगा।
जब राजू से पुछा गया कि ऑफिस के छोटे-मोटे काम करते हुए उन्होंने अपनी पढ़ाई कैसे पूरी की तो उन्होंने बताया की मुझे पता था कि मैंने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की है, मैं छठी क्लास में पढाई छोड़ चुका था। मैं छुट्टियों में झारखण्ड अपने घर जाया करता था एक बार मैंने वहां जिला स्कूल में खुद को क्लास दशवीं में नामांकन करा दिया और कोर्स की किताबें मुंबई लेकर आ गया। अपने पहले प्रयास में फेल हो गया पर दूसरी बार में मैंने 61% नंबरों के साथ दशवीं पास किया और फिर 47% नंबरों के साथ बारहवीं की भी पढ़ाई पूरी की।
शादी डॉट कॉम के ऑफिस में बहुत से वेब डेवलपर्स थे और उन्हें काम करते देख राजू के मन में भी वेब डेवेलपमेंट सीखने की इच्छा जागी। ऑफिस ने भी उनकी मदद की और वहां देर तक रुक कर पढ़ना कर दिया। अब हर रोज काम करने के बाद राजू ऑफिस में बैठे-बैठे ऑनलाइन कोर्सेज किया करते थे और समस्याएं आने पर अगले दिन स्टाफ से पूछ लिया करते थे।
ये उनकी कड़ी मेहनत और कभी हार ना मानने के ज़ज़्बे का ही नतीजा था कि वे वेब डेवलपमेंट की बारीकियां सीख पाये और जब शादी डॉट कॉम में वैकेंसी आई तो उसके लिए अप्लाई करने की हिम्मत जुटा पाये। सभी कैंडिडेट्स की तरह उन्हें भी चयन प्रकिया से गुजरना पड़ा और अंत में सफलता ने उनके कदम चूमा और वह सेलेक्ट हो गए। जिसके बाद शादी डॉट कॉम के सीईओ अनुपम मित्तल ने ट्वीट करके राजू को बधाई दी।
राजू कहते हैं भले ही वे एक वेब डेवलपर बन गए हैं पर उन्हें पता है कि उन्हें अभी एक लम्बा सफर तय करना है। लोग कह सकते हैं कि एक छोटे से गाँव से निकल कर एक चायवाला और फिर एक वेब डेवलपर बनना बड़ी बात है पर सीखने की मेरी इच्छा कभी कम नहीं हो सकती।
राजू अभिभावकों और नवयुवकों को भी सन्देश देना चाहते हैं की मात-पिता बच्चों की पढाई पर बहुत अधिक ध्यान दें। मैंने ऐसे पेरेंट्स को देखा है जो पढाई को ज़रूरी नहीं समझते। कभी-कभी गरीबी की वजह से पढाई से ज्यादा कोई काम कर के पैसा कमाने को ज्यादा अहमियत देते हैं पर बहुत बार वे बच्चों को पढ़ाने से अधिक ज़मीन खरीदने को महत्व देते हैं। बहुत से युवा भी हैं जो ज़िन्दगी भर सरकारी नौकरी का इंतज़ार करते रहते हैं, और इसी चक्कर में अपना समय बर्वाद कर देते हैं। पूरी ज़िन्दगी उस सरकारी नौकरी का इंतज़ार मत करो, जो शायद कभी हाथ ही ना आये। जब भी कोई मौका मिले तो उसे गंवाओ नहीं, नहीं तो हमेशा के लिए मौका तुमसे दूर हो जायेगी। राजू अभी मुंबई में ही किराए के एक मकान में अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते हैं और साथ ही मुंबई विश्वविद्यालय से बी कॉम की पढ़ाई कर रहे हैं।
Source: live bihar