shabd-logo

"माँ रुप तेरे "

18 अगस्त 2021

226 बार देखा गया 226

जब भी स्वप्न कोई टूटा

पलकों को सहला दिया

शूल चुभा कोई दामन में

होठों से दर्द चुरा लिया


जब छलका आँखों में आँसू

एक मीठी लोरी सुना दिया

जब भी थका सामर्थ्य मेरा

उम्मीद किरण दिखला दिया


राह सूनी जब घुप्प अँधेरा

पथ में दीपक जला दिया

जब-जब जग ने ताने मारे

आँचल में तुमने छुपा लिया


पल-पल मुझे सँवारा तुमने

हो गई खुद की जर्जर काया

मेरा व्यक्तित्व निखारा तुमने

खुद का वजूद मिटा दिया


तू ज्ञान है तू ही प्रेरणा

तुमने ही जीवन दिया

धरती पर "माँ" तेरे रुप ने

ईश्वर दर्शन करा दिया


कामिनी सिन्हा की अन्य किताबें

1

प्यार एक रूप अनेक

14 जून 2018
0
2
2

" प्यार क्या है " सदियों से ये सवाल सब के दिलो में उठता रहा है और सदियों तक उठता रहेगा .इस सवाल का जबाब देने की सबने अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी की है ." प्यार" शब्द अपने आप में इतना वयापक और बिस्तृत है की इसकी वयाख्या करना बड़े बड़ो के लिए

2

"माँ रुप तेरे "

18 अगस्त 2021
1
1
0

जब भी स्वप्न कोई टूटा पलकों को सहला दिया शूल चुभा कोई दामन में होठों से दर्द चुरा लिया जब छलका आँखों में आँसूएक मीठी लोरी सुना दिया जब भी थका सामर्थ्य मेरा उम्मीद किरण दिखला दिया राह सूनी जब घुप्प अँधेरा पथ में दीपक जला दिया जब-जब जग ने ताने मारे आँचल में तुमने छुपा लिया पल-पल मुझे सँवारा तुमने हो

3

"दे दो ऐसा वरदान..."

18 अगस्त 2021
0
0
0

हे! जगजननी करुणामयी माता द्वार तुम्हारे आई हूँ। अक्षत-रोली, धूप-दीप नहींबस,श्रद्धा सुमन संग लाई हूँ। अपने अश्रु की धारा सेतेरे चरण पखारुँगी।प्रेम-समर्पण की माला सेतेरी छवि संवारुँगी। पूजा की मैं रीत ना जानू जप-तप का नहीं कोई ज्ञान।अर्पण तुझको तन-मन मातामैं ना जानू विधि-

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए