5 जुलाई 2016
नारी , तुम किसकी बराबरी करना चाह रही हो ?
नर की , जिसे तुम जन्म देती हो !
कुछ बड़ा और अलग करो , देवी ।
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वेदों को श्रुति कहते हैं जिसका अर्थ है 'सुना हुआ'।वेदों को अपौरुषेय (जिसे कोई व्यक्ति न रच सकता हो ) यानि ईश्वर कृत माना जाता है ! असल में ये महान ग्रंथ स्मृति हैं यानि मनुष्यों की बुद्धि -स्मृति पर आधारित।सरल शब्दों में कहें तो इसकी रचना धीरे धीरे समय के साथ संस्कृति और सभ्यता के विकासक्रम के साथ स
हैदर फिल्म याद है , बिलकुल एक तरफ़ा , इसमें डायरेक्टर की स्वतंत्रता से अधिक उसकी उच्छृंखलता नजर आयी थी ! ये बॉलीवुड वाले क्या और क्यों बेचते हैं अब समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है ! खान से लेकर भट्ट कैम्प की मानसिकता जग जाहिर है ! फिल्मों ने हिन्दुस्तान की संस्कृति से लेकर इतिहास को किस हद तक नुक्सान प
मैं अमेरिका के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प का सपोर्ट करना चाहूंगा ! और उसके कारण हैं ! सबसे पहला सवाल ,हिलेरी क्या हैं ? बस , एक और क्लिंटन ! क्या यह वंशवाद नहीं ? क्या अमेरिका अब तक अपने राष्ट्रपति पद के योग्य एक भी आत्म निर्भर (सेल्फ मेड) और स्वतंत्र व्यक्तितव वाली नारी को विकसित नहीं कर पाया
कोई कुछ भी कहे मगर सोशल मीडिया ने समाज में उथल पुथल मचा रखी है , विश्वास नहीं होता तो इनसे पूछिए .... १) पत्रकार और मीडिया - ख़बरों के बाजार में इनकी अकेली दुकान थी जिसमे झूठ मनमर्जी कीमत पर भी बिक जाता था ! अब ये दुकान बंद होने के कगार पर है !२)लेखक और लेखन - विशेष कर हिन्दी में अब तक लेखन के ना
कुछ एक दोस्त लोग नाराज हैं की कैराना के लिए लिखी अपनी पिछली पोस्ट में अपनों को ही क्यों कठघरे में खड़ा कर दिया ! सच ही तो लिखा है,और सच कभी किसी को पसंद आया है क्या ? नहीं ! आइना दिखाया , जिसमे बदसूरती दिखी और तुम नाराज हो गए ,अब हम कोई आशिक शायर तो हैं नहीं की चाँद और चांदनी की बात करते रहें ! म
कमरों में एसी के सामने उसकी ठंडी हवा का मजा तो रोज लेते हो , कभी कमरे से बाहर जाकर एसी के पीछे दो मिनट भी खड़े होकर देखा है की वो हवा कितनी गर्म फेकता है ! कभी गलती से एसी के पिछवाड़े के सामने पड़ गए तो तुरंत वहाँ से हठ कर फिर से कमरे में घुस जाते हो ! और फिर चीखते -चिल्लाते हो ,'कितनी गर्मी है , ओह मा
कई बार मन में सवाल उठता है की आखिरकार एक ही देश और काल में पैदा हुए पले -बढे, वही हवा-पानी-भोजन और फिर दोनों के खून का रंग भी वही लाल, फिर एक आतंकी और एक संत कैसे बन जाता है ? और इन आतंकियों की संख्या अचानक क्यों बढ़ती जा रही है ? जवाब में हम एक धर्म विशेष और उसकी शिक्षा को दोष देकर अपना पिंड छुड़ा ले
उड़ता पंजाब को देखने के लिए उड़ कर जाने की तो कोई बात ही नहीं लग रही,उलटा पैदल ना जाने के भी कई कारण हैं !ना जाने क्यों फिल्म के ट्रेलर में शाहिद कपूर को देखकर अचानक कश्मीर पर बनी हैदर याद आ गयी जिसमे उसका चरित्र झूठ और एक पक्षीय के साथ साथ वास्तविकता से परे दिखाया गया और अंत तक यही समझ नहीं आता की वो
" सर,ये गोपाल जी ने ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री से इस्तीफा क्यों दिया ?"स्वास्थ्य कारणों से !"मगर सर दूसरे विभाग के मंत्री तो वो अब भी बने हुए हैं , वहाँ काम के लिए स्वास्थ्य की जरूरत नहीं है क्या ?"इस तरह से सवाल तो नहीं पूछना था , कौन से चैनल या पेपर के हो ?"क्या मतलब सर ?" क्यों ऐड नहीं मिला क्या ? "
एक सुखद और सकारात्मक खबर जो अक्सर नहीं बन पाती है हैडलाइन !बात बात पर ५६ इंच नापने वाले ,टमाटर-दाल तौलने वाले और 15 लाख गिनने का इंतज़ार करने वालों के लिए यह खबर शायद महत्व्पूर्ण नहीं ! मगर इसका महत्व उनसे पूछो जो अपने घर से दशकों तक विस्थापित रहे ! कैराना आदि के लिए संघर्ष करने वालों के लिए इसमें सन
ये गूगल के मात्र दो चित्र नहीं , इसमें भविष्य छिपा है ! चीन को अरब सागर होते हुए हिंद महासागर पहुंचना है ! विश्व शक्ति बनने के लिए उसे इसका स्थायी इंतजाम करना है ! और वो कैसे पहुंच रहा है यह पहले मैप में है ! चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर(CPEC) के द्वारा ! कॉरिडोर बोले तो गलियारा-गैलरी, सरल शब्दों म
बहस चल रही है की हिन्दी में बेस्ट सेलर क्यों नहीं! प्रासंगिक विषय है और विचारणीय भी !जो इस राह से गुजर रहे हैं वो इसको बेहतर समझ सकते हैं और समझा भी ! अनुभव से प्रमाणिकता आती है ! इसमें कोई शक नहीं की वामपंथी गैंग ने प्रकाशक के साथ मिल कर सिर्फ उसी हिन्दी लेखक को आगे प्रमोट किया जो उन्हें पसंद हों
दरबारीयों, गुलामों,आपियों,पापीयों, तुम सारे लोग पप्पू के साथ मिलकर मीडिया में इतना विधवा विलाप क्यों कर रहे हो ?"रघुराम राजन जी जा रहे हैं " अच्छा अच्छा , तो वो भी आप लोगों की तरह ही आप सबके अपने हैं !" नहीं ,वो एक महान अर्थशास्त्री हैं "अरे तो वो अपने घर जा रहे हैं, जाने दो , तुम लोगों को तो खुश हो
योग को धर्म से ना जोडें - मोदी आज अखबार में कुछ इसी तरह की हेडलाइन है !अधिकांश सेक्युलर बाबा भी यही ज्ञान बांट रहे हैं !आप लोग ये सब कह के क्या करना चाह रहे हैं ? किसे समझाना चाह रहे हैं ? जिसे समझना नहीं है ! जिसे समझने की मनाही है ! जहां नासमझना ही धर्म बना दिया गया है ! जिससे नासमझों का झुंड बना
सुन रहे हैं की ब्रिटेन ने यूरोपीय संघ से बाहर जाने का फैसला सुनाया है ! लेकिन ये पूरी तरह से अंदर कब था ? 1973 में 28 देशों के संगठन यूरोपियन संघ का हिस्सा तो बना मगर हमेशा शेष यूरोप से आशंकित ही रहा है ! कैसे ? अब आप खुद ही देख लो, शेनजेन वीसा से आप बाकी यूरोपीय देशों में आ जा सकते हो मगर ब्रिटेन म
भारत का नाम अंतरिक्ष में पहुंचाने वाले छात्रों को कितने लोग जानते हैं जबकि "भारत तेरे टुकड़े होंगे" , नारा लगाने वाले छात्र घर घर तक पहुंचा दिए गए थे ! रोज शाम को प्राइम टाईम में दिखा दिखा कर जहां कुछ अराजक छात्रों को जाने अनजाने हीरो बना दिया गया था वहीं सकारात्मक और रचनात्मक काम करने वालों को एक मि
पिछली बार, कब आपने रसोई में चुपचाप जाकर,अपनी जीवन-संगिनीं का अचानक धीरे से चुंबन लिया है ? कब आपने शेविंग -टूथब्रश करते अपने जीवन साथी को, पीछे से बिना झिझक अनायास मगर कसकर आलिंगन किया है? प्रेमभरी कोई भी शरारत क्या आप अब भी करते हैं ? शादी के बाद कुछ दिनों तक तो शायद ऐसा कुछ हुआ हो मगर फिर धीरे धीर
इस्तांबुल के एयरपोर्ट में बम धमाका , यह तुर्की में कैराना के एडवांस मॉडल के आगमन की सूचना है ! कैराना के कई मॉडल हैं , पाकिस्तान से लेकर सीरिया तो बांग्लादेश से लेकर इंडोनेशिया ! कैराना नाम नहीं बल्कि प्रतीक है, जो हर शहर हर देश में अलग अलग रूप अलग अलग अवस्था में है ! ये समाजीक व्यवस्था का वो मॉडल ह
नारी , तुम किसकी बराबरी करना चाह रही हो ? नर की , जिसे तुम जन्म देती हो !कुछ बड़ा और अलग करो , देवी ।
"नंगे से भगवान भी डरता है " कह का आंख बंद कर लेने से क्या नंगा कपड़े पहन लेगा ?नहीं ! बल्कि वो आपके कपड़े भी उतार सकता है !तो नंगे की नंगई का कोई इलाज तो होगा ? है, बिल्कुल है !"लातों के भूत बातों से नहीं मानते " बस ध्यान रहे लात सही जगह पड़नी चाहिए !
"अफसोस कि बुरहान वानी पहला शख्स नहीं है जिसने बंदूक उठाई और आखिरी भी नहीं होगा. मैंने हमेशा से कहा है कि राजनैतिक समस्या का राजनैतिक हल ही निकलना चाहिए."उमर अब्दुल्लासही कह रहे हैं आप , उमर अब्दुल्ला जी , अगर पहले (शेख) अब्दुल्ला का सही इलाज सही समय पर हो जाता तो ना बुरहान वानी होता ना उमर अब्दुल्ला
सेक्युलर भद्र महिलायें , मानवाधिकार का झंडा बुलंद करने वाली वीरांगनाएं , फ्री सेक्स समर्थक और मेरा शरीर-मेरा जीवन की तमाम ब्रांड एम्बेसडर ,सादर प्रणाम ,आपकी तमाम स्वतंत्र विचारधारा और जीवन शैली से कभी कोई आपत्ति नहीं रही और किसी को होनी भी नहीं चाहिए ! आप किसी आतंकवादी के समर्थन में आसूं भी बहा सकती
हर समस्या का समाधान होता है , कहना आसान है मगर असल में कर पाना हर बार उतना भी सरल नहीं होता ! खासकर तब जब वो भीड़ का उन्माद हो या फिर कट्टर धार्मिकता से पैदा किया गया जूनून ! समाधान असम्भव तब हो जाता है जब समस्या जबरन पैदा की गयी हो ! कहा भी जाता है की पागलपन का कोई इलाज नहीं !लेकिन इस चक्कर में किसी
तुम्हारे पास हर आतंकी हमले के लिए कुतर्क है ,मगर फ़्रांस में नीस की जीवंत सड़क पर इस मासूम का क्या अपराध था ?तुम याद रखना , कुछ सवाल सिर्फ जवाब देने के लिए नहीं होते !
तिब्बत और कश्मीर दोनों आसपास हैं और दोनों , पिछली शताब्दी में ,एक ही तरह की समस्या से गुजरे हैं ! पहले तिब्बत बाद में कश्मीर ! तिब्बत में बुद्धिज़्म सैकड़ो वर्षों से है ! जिसका मूल मन्त्र है ध्यान और अहिंसा ! शांतप्रिय लोग हैं, मगर वहाँ क्या हुआ ? इतिहास गवाह है ! चीन की विस्तारवादी कट्टरता के आगे, कै
तुर्की ने अपने लोकतंत्र को बचाया या वो धार्मिक कट्टरता की ओर बढ़ रहा है ?तुर्की में जो कुछ हुआ उस पर सीधे सीधे कोई राय कायम कर लेना थोड़ी जल्दबाजी होगी ! क्या वास्तव में तुर्की की जनता अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए सेना से भिड़ गई ? इस पर भ्रम पैदा हो रहा है तो उसके कारण हैं ! सवाल कई हैं जैसे की किस
आरएसएस की तुलना आईएसआईएस से करने वाले इतिहासकार अब कह रहे हैं की, पब्लिक परसेप्शन पर गांधी का हत्यारा आरएसएस को कहा जाता रहा है।तो इनसे पूछा जाना चाहिए की तुम लोगों के लिखने से परसेप्शन बनता है या तुम लोग सिर्फ परसेप्शन के हिसाब से लिखते हो ?ओफ़्फ़,इन्ही लोगों ने इतिहास को भी परसेप्शन बना डाला !
सुबह सुबह एक अखबार में रामचंद्र गुहा का लेख पढ़ रहा था 'आरएसएस का भारत मॉडल' ! दो बार पढ़ा मगर समझ नहीं आया की वो क्या कहना चाहते हैं ! यूँ तो हर अखबार के तकरीबन सभी लेखों का यही हाल रहता है इसलिए आजकल अखबार की कतरन काट कर रखने की जगह वो रद्दी में फेंकने के काम अधिक आता है ! लेकिन उनके नाम के नीचे लिख
अति भ्रष्ट एक अधिकारी मित्र ने आवश्यकता से अधिक पैसे देकर अपने एकलौते पुत्र को बिगाड़ लिया था! कम उम्र में ही चमचमाती कार दे दी ! लाड़ले ने भी जम कर ऐश मारना शुरू कर दिया था ! एक दिन कॉलेज से भाग कर शराब के नशे में धुत अपनी प्रेमिका के साथ हिमाचल में मस्ती कर रहे थे ! शराब और शबाब अनियन्त्रित हो ज
एक अखबार में राजदीप सरदेसाई का लेख "भाजपा की हिंदुत्ववादी रणनीति पर संकट " सरसरी निगाह से पढ़ रहा था ! कोई पूछ सकता है की सरसरी निगाह से क्यों ? तो वो इसलिए की मुझे पता है की इसमें क्या होगा , हिंदुओं की बात हो रही है तो आरएसएस होगा फिर गुजरात का संदर्भ है तो मोदी होंगे और उनका नाम आते ही बात २००२ से
उमर अब्दुल्ला साहब आप कश्मीर की समस्या को लेकर राष्ट्रपति से मिल रहे हैं ! अच्छी बात है, मिलना चाहिए ,शांति के लिए हर किसी को कोशिश करनी चाहिए ! मगर आम जनता को भी तो बतलाइये की आप क्या चाहते हैं ! और आप जो चाहते हैं वो आप के दादा , फिर पिता और आप ने स्वयं सत्ता में रहते क
ऊर्जा ना तो खत्म होती है ना ही पैदा की जा सकती है, बस उसका रूप-स्वरुप बदल सकता है ! यह मैं नहीं विज्ञान कहता है ! वैज्ञानिक कई उदाहरण के द्वारा इसे प्रमाणित भी करते हैं! मान लेते हैं ! मगर विज्ञान ने तो पिछले कुछ १०० -२०० साल से यह बोलना शरू किया है , हम तो सदियों से कहते आये हैं ! वो कैसे ? यह सव
कान्हा , आज की रात, तुम मत आना ! क्योंकि अब यहाँ कोई वसुदेव नहीं , हर बाप धृतराष्ट्र है ! हर बेटा पापी दुर्योधन , हर मामा शकुनि , तो हर भाई दुःशासन है ! ना कोई देवकी ना कोई यशोदा, अब तो हर घर पूतना है ! यहाँ कोई द्रोपदी नहीं, जो अपने चीरहरण में, तुम्हे पुकारे !
धर्म से बड़ा कोई 'कु' शासक नहीं ! धर्म से बड़ा कोई लोभी व्यापारी नहीं ! धर्म से बड़ा कोई अत्याचारी नहीं ! धर्म से बड़ा कोई षड्यंत्रकारी नहीं ! धर्म से बड़ा कोई अधर्मी नहीं ! आदि आदि ... फिर भी धर्म पूजनीय है फलफूल और फ़ैल रहा है ! क्योंकि धर्म से बढ़ा कोई डर नहीं, नशा नहीं ,
विश्व युद्ध नीति आज जब दुनिया एक ग्लोबल विलेज बन चुकी है तो अपने अपने देश की सीमाओं के आगे जा कर हमें यह भी देखना चाहिए की आखिरकार विश्व को कौन चला रहा है और कैसे ! इसके लिए एक संस्था है संयुक्त राष्ट्र ( United Nations) ! इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के उद्देश्य में उल्
फिल्म " पिंक" देखी ! शानदार ! यह जरूरी नहीं कि हर फिल्म मनोरंजन के लिए बनाई जाए। कुछ ऐसी भी होती हैं जो अपनी बेहतरीन स्क्रिप्ट और जोरदार अभिनय के कारण आपको सोचने के लिए मजबूर कर देती है ! यहां स्क्रिप्ट राइटर अपनी बात रखने और डायरेक्टर उसे प्रस्तुत करने में पूरी तरह सफल र
पुरातन काल में सफल राजा गावों में कुँए और तालाब खुदवाया करते थे !समय बदल गया मगर विकास का यह पैमाना आज भी नहीं बदला !अगर गावों को सच में समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना है तो हर गांव (
रामचंद्र गुहा जैसे कब पैदा होते हैं ? जब मोटी चमड़ी वाले अनेक निर्लज्ज -बेशर्म और कुटिल-कपटी लोग मरते हैं ! मुझे यकीन है इसमें से एक भी शब्द गाली नहीं है, बल्कि सभी घोर साहित्यिक है ! वैसे इन जैसों को गाली देना गाली का अपमान है !और इन पर कुछ भी लिखना समय की बर्बादी है क्य
वो हर शहर में रोहिंग्या के लिए सड़क पर उतर रहे हैं , तुम कितनी बार किसी अपने के लिए आज तक घर से निकले हो ?पकिस्तान बांग्लादेश में मारे जा रहे अल्पसंख्यक हिन्दुओं की तो बात ही बाद में आएगी , तुम तो अपने ही घर से निकाले गए ना तो कश्मीरी पंडित के लिए सड़क पर उतरे ,ना तो केरल से लेकर पश्चिम-बंगाल में हो र