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बलूचिस्तान: इसके संघर्ष एवं आजादी की लड़ाई की दुखभरी कहानी

17 अगस्त 2016

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सोमवार को, भारत के 70 वे स्वंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया है | उन्होंने अपनी लंबे भाषण में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके ) एवं बलूचिस्तान का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने का संकेत दिया है | आखिर ऐसा क्या हो रहा है बलूचिस्तान में जिसके कारण प्रधानमंत्री मोदी को ये मुद्दा उठाना पड़ गया आओ इसके बारे में जानने की कोशिश करते है |


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बलूचिस्तान जो लगभग 1. 3 करोड़ लोगो का घर है पाकिस्तान का सबसे बड़ा एवं सबसे कम विकसित प्रान्त है|प्राकृतिक संसाध्नों से भरपूर एक सा प्रान्त जो कभी मुग़ल शासक अकबर की सल्तनत का हिस्सा हुआ करता था आज चैन की खुली साँस लेने के लिए तड़प रहा है आये दिन यहा पर सड़को किनारे शवो के ढेर मिल रहे है,रहस्यमयी कब्रो का पता चल रहा है और दिन धड़ाके यहां के नवयुक गायब हो जाते हैअल्पस्यंखयक मुख्यतः हिन्दुओ को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें मौत के घाट उतारा जा रहा है |


बलूचिस्तान के संघर्ष की कहानी ,भारत- कश्मीर मुद्दे की तरह स्वंत्रता के दिनों से शुरू होती है |जब सन 1947 में भारत के विभाजन के समय ,कनात के शासको ने नए राष्ट्र पाकिस्तान में मिलने से मना कर दिया तब पाकिस्तान ने मार्च 1948 में इस क्षेत्र को हड़पने के लिए पहली बार अपनी सेना भेजी | तब पाकिस्तान के दबाव में आकर उस समय में कनात के शाषक यार खान को पाकिस्तान के साथ संधि पर हस्ताक्षर करना पड़ा | लेकिन उनके भाइयो और आने वाली अनुयायिओ ने पाकिस्तान के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया और लगातार पाकिस्तानी सेना के साथ अपने अधिकारों और आजादी की लड़ाई लड़ते रहे | 1948 के विद्रोह के शांत होने के बाद 1962-63 एवं 1973 -77 में बलूचिस्तानियो ने पाकिस्तान से स्वंत्रता के लिए कई हिंसक अभियान चलाये |


1973 से 1977 के दौरान पाकिस्तान से अपने देश की आजादी के लिए 9000 से ज्यादा बलूचिस्तानी मारे गए | उसके बाद लगभग 2 दशको तक बलूचिस्तान में शांति का माहौल बना रहा लेकिन 1999 -2008 में पाकिस्तान के जनरल मुशर्रफ के कार्यकाल में फिर से तनाव का माहौल बन गया |मुशर्रफ ने बलूचिस्तानी राष्ट्रवादी जो अपने प्रान्त एवं इसकी सम्पदा पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे थे के खिलाफ सैन्य अभियान चला दिया |तब से अभी तक मीडिया को इस प्रान्त में जाने पर प्रबंध लगा दिया गया एवं नकारात्मक खबरों को तुरंत दबा दिया जाता है |अनुमानों के अनुसार सन 2000 से अबतक 20000 से ज्यादा (जिनमे 5000 के आस पास बच्चे है ) बलोची लोग रहस्यमयी तरीको से गायब हो चुके है और पाकिस्तानी सेना द्वारा उनकी हत्या कर दी गयी |


पिछले हफ्ते (8 अगस्त) ही बलूचिस्तानी वकीलो के काफिले को जो मानवधिकारों के सम्बन्ध में बलूचिस्तान की राजधानी क़्वेटा में प्रचार कर रहे थे बम से मार गिराया | इस हमले में लगभग 70 लोग मारे गए एवं 120 से अधिक घायल हो गए | ऐसी घटनाये अब बलूचिस्तानी लोगो के दैनिक जीवन का हिस्सा बन गयी है |वहा के स्थानीय वकील बरखुरदार खान ने कहा की" मेरा हर सहयोगी जिन्होंने मुझे काम के बाद घर तक छोड़ा (लिफ्ट) था और जो मेरे मेंटर ( परामर्शदात दाता) थे लगभग सारे इस हमले में मारे जा चुके है इस बम विस्फोट ने क़ानूनी मन की एक पूरी पीढ़ी को ख़त्म कर दिया | "


बलूच लोगो पर पाकिस्तान सरकार द्वारा ढहाये जा रहे अत्याचारो की भयवाहता अकल्पनीय है | अंतराष्ट्रीय समुदाय से कोई समर्थन नहीं मिलने के बावजूद ये लोग अपने अस्त्तिव के लिए अकेली लड़ाई लड़ रहे है |

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