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सुरीली - रेडियो दिवस और डायरी

15 दिसम्बर 2021

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राधे राधे सुरीली 🙏🏻 🌹 🙏🏻
कैसी हो... अच्छी हो ना..
अरे नाराज ना हो प्यारी.. हम तुम्हें भूले ही कहाँ थे जो याद करते। तुम तो हमारी प्यारी सखी हो और भला अपनी सखी को भी कोई भूलता है कभी।

आज पता है क्या है सुरीली... आज ना विश्व रेडियो दिवस है... 13 फरवरी को... हाँ.. 

और पता है क्या सब दुनियां आज रेडियो के गुण गिनाने में लगी हुई है। रेडियो का अविष्कार वाकई एक क्रांतिकारी अविष्कार था। हवा में चल रही तरंगो को हमारे कानों तक पहुंचाना, संचार के क्षेत्र में एक बहुत बडी क्रान्ति प्रमाणित हुआ। दिसंबर, १८९५ में, इस महान तकनीक से विश्व को अवगत कराने वाले विश्व प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री श्री मान गुगलेल्मो मारकोनी इटली के रहने वाले थे, जिन्हें वर्ष 1909 में भौतिक के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

भारत में इस महान क्रांति के पदार्पण का दिन था ८ जून ,१९३६, जिसे ऑल इंडिया रेडियो अर्थात आकाशवाणी के नाम से सम्मानित किया गया। वैसे तो १९२७ में ही मुम्बई और कोलकाता में इसके प्रसारण का आरम्भ हो चुका था, जिसमें दो निजी ट्रांसमीटरों का प्रयोग किया गया था। १९३० में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ, जिसमें इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा अर्थात Indian Broadcasting Corporation ( इंडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन) रखा गया। 

किन्तु हम तो आज केवल तुम्हारी ही तारीफ करेंगे... अरे नहीं नहीं... हम तुम्हें मक्खन नहीं लगा रहे.. अब तुम्हीं बताओ मक्खन कैसे लगाएंगे.. हमसे बचेगा तो ही तो तुम्हें लगाएंगे... 🤣🤣🤣😂😂😂🤗🤗🤗🤗🤗

हम तो ये जानना चाहते हैं कि तुम्हारा अविष्कार किसने किया... पर जिसने भी किया उसका राम भला करे। क्या कहा सत्यम पित्रोदा..... अरे नहीं वो तो भारतीय कंप्युटर और आई टी रेवोल्यूशन के पिता जी हैं, जिन्होंने शिकागो में पढते समय १९६६ में इलेक्ट्रॉनिक डायरी का निर्माण किया था। हम तो तुम्हारी बात कर रहे हैं, जिस पर कागज और पेन का उपयोग किया जाता है। 

तुम्हें पता है सुरीली तुम पता नहीं कितनों की खुशियो की खुशी का दर्पण हो, कितनों के ग़मों की राज़दार हो। कितनी जानकारियों का खजाना हो, जाने कितने गीत, ग़ज़ल और कविताएं तुम्हारे आँचल पर लिखे गए। कितनी कहानियां तुम्हारे दामन में बनी और बिगड़ी। कितने तुम्हें रंग कर खुद सूर्य से चमक गए। कितने तुम्हारे कारण साहित्य जगत के जगमगाते सितारे बन गए। 

तुम्हारे कारण कितने निर्दोषों को न्याय मिला, कितनों को उसका प्यार मिला। तुम्हारे उपकार और कारनामे तो अनगिनत हैं और इतने पर भी तुम मूक रहती हो। जब तक जरूरी ना हो, किसी का राज नहीं खोलती हो। हम तुम्हारी तारीफ और क्या कहें सुरीली.. हमारे पास तो वो शब्द ही नहीं है.. तुम उपमान और उपमेय से परे.. हर अलंकार को अलंकृत करती हो। 

तुम ऐसे ही हमारे साथ बनी रहो.. इससे अधिक कुछ नहीं है हमारे पास कहने को... 🥰🥰🥰🤗🤗🤗🤗

राधे राधे 🌹 🙏🏻 🌹 

🌹 राधा श्री 🌹 

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति

15 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
साप्ताहिक प्रतियोगिताएं
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यहां हम विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले लेख और कहानियां प्रकाशित करेंगे।
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