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डॉ. देशराज सिरसवाल के बारे में

वर्तमान में दर्शनशास्त्र में सहायक प्राध्यापक . सकारात्मक दर्शन, भारतीय मनोविज्ञान, शिक्षा दर्शन, मानवाधिकार और दलित साहित्य में रूचि. दार्शनिक और अंतरविषयी शोध में सक्रिय और कई संस्थाओं से संबंधित तथा ३० के करीब शोधपत्र, पुस्तकें और इबुक्स प्रकाशित . .

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डॉ. देशराज सिरसवाल की पुस्तकें

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2 पाठक
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डॉ. देशराज सिरसवाल के लेख

वर्ष 2020 का अंतिम दिन।

31 दिसम्बर 2020
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वर्ष 2020 का अंतिम दिन। यह साल छोटी छोटी खुशियों को सहेजने का साल रहा। कोरोना समय ने बता दिया कि जिन चीजों को हम सहज ही लेते हैं वह बहुत मूल्यवान होती है। शायद यह वर्ष "परिवार वर्ष" बनकर हम सभी के सामने आया। इस वर्ष में बहुत समय मिला पढ़ने को। खुद के लिए कुछ करने को। वरना हम केवल मशीनी बनकर रह गए हैं

मार्क्स और भारत

20 मई 2020
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मार्क्स का चिंतन भारतीय विद्वानों के लिए एक अनबुझ पहेली है। भारतीय समाज और राज्य पर हम उस चिंतन को सही ढंग से प्रयोग करने की बजाये हम इस बात पर जोर देते हैं कि दूसरे देशों में मार्क्सवाद की क्या गति रही। जबकि सबसे बड़ी बात तो ईमानदारी से चिंतन की है क्योंकि जब भी हमें किसी व्यवहारिक सिद्धान्त की तला

मौलिक कर्तव्य और संविधान के आदर्श

20 मई 2020
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दोस्तों, "मौलिक कर्तव्य" भारतीय संविधान के भाग IV क में अनुच्छेद 51 क में सम्मिलित किया गया है। वर्ष 2002वके 86वें संशोधन के द्वारा मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 से बढ़ा कर 11 कर दी गयी है। देखा जाए तो अधिकारों से पहले कर्तव्य की समझ जरूरी है। हमें सोचना चाहिए कि क्या हम आने मौलिक कर्तव्यों के बारे अच

डॉ भीमराव अंबेडकर और राजनीतिक लोकतंत्र

18 मई 2020
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डॉ भीमराव अंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को संविधान सभा में दिए अपने भाषण में अंबेडकर सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति में संविधान प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग जरूरी बताते हुए कहते हैं, ‘इसका मतलब है कि हमें खूनी क्रांतियों का तरीका छोड़ना होगा, अवज्ञा का रास्ता छोड़ना होगा, असहयोग और सत्याग्रह का रास्त

Why I am not a Buddhist but an Ambedkarite?

4 मई 2020
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आजकल भारत में एक नया दौर चल पड़ा है, किन्तु बहुत पुराना नहीं कह सकते है। कुछ लोग भारत को बुद्धमय देखने का सपना सँजोए दलितों को एक विशेष राजनैतिक विचारधारा की तरफ मोड़ रहे हैं और जो लोग उस विचारधारा को नहीं मानते उन्हें निकृष्ट प्राणी की तरह व्यवहार करते है और अपने को "सच्चा अम्बेडकरवादी" स्थापित करते

विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक बधाई

23 अप्रैल 2020
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मेरे जीवन में किताबों का उतना ही महत्व है जितना की मेरे दोस्तों और परिवार का।मेरे घर का सबसे बेहतर कोना मेरी किताबों वाला ही है।बच्चों को भी आश्चर्य होता है इन्हें देखकर। किताबें जीवन का सही अर्थ बताती हैं और हमें सही राह दिखाती हैं।सभी दोस्तों को विश्व पुस्तक दिवस की हार्दिक बधाई।

लोकतंत्र और भीडतंत्र

21 अप्रैल 2020
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'पालघर' की घटना उतनी ही निंदनीय है जितनी इससे पहले की मॉब लीचिंग रही हैं। भीड़तंत्र भारत के लोकतान्त्रिक चरित्र के लिए बहुत घातक है। नागरिक किसी भी धर्म और संप्रदाय का हो उसे भी जीने का हक है। कभी गौ मांस के नाम पर, कभी अफवाह के नाम पर, भीड़ लोगों को मार रही है और कुछ लोग इसे धार्मिक रूप देकर, खुद क

सभी साथियों को डॉ भीम राव अम्बेडकर जी के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

14 अप्रैल 2020
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दोस्तो, बाबा साहेब आधुनिक भारत के विद्वानों में सबसे महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्होंने हमारे समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचार प्रकट किये, जिन विषयों पर अन्य विद्वानों की कोई स्पष्ट दृष्टि नहीं थी। उनके विचार समय के साथ ज्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं। बाबा साहेब को केवल संविधान निर्माता और दल

कविता मौन ही होती है ...(कविता-संग्रह)

2 अप्रैल 2020
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'कविता मौन ही होती है...’ मेरे द्वारा लिखित कविताओं का संग्रह है जो भिन्न-भिन्न समय और मानसिक अवस्था में लिखी गयीं हैं. कविता भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है जिसमें व्यक्ति एक अलग ही तरह का मानसिक सुख पाता है. यह सुख व्यक्तिगत होता है लेकिन कई बार यह व्यक्तिगत से सार्वजनिक भाव भी रखता है.भावनाएं कभी स

रश्मि के नाम कुछ खत... (कविता-संग्रह)

2 अप्रैल 2020
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रश्मि के नाम कुछ खत... (कविता-संग्रह)‘रश्मि के नाम कुछ खत...’ मेरे द्वारा लिखित कविताओं का संग्रह है जो भिन्न-भिन्न समय और मानसिक अवस्था में लिखी गयीं हैं. कविता भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है, जिसमें व्यक्ति एक अलग ही तरह का मानसिक सुख पाता है. यह सुख व्यक्तिगत होता है ल

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