यकीन तो दिलाओ
अपने होने का मुझे यकीन तो दिलाओ
तुम हो गर मेरे ज़रा पास तो आओ
क्यूँ जा रहे हो हाथ छुड़ाकर मुझसे
करते ह़ो इश्क तो यूँ ना शरमाओ।
अपने होने का मुझे यकीन तो दिलाओ।।
तवज्जो दी नहीं कभी आज जाने क्या हुआ?
चुभते अलफाज़ लगते प्यारे मसला क्यूँ हुआ?
कहीं ऐसा तो नहीं कोशिश है दूर जाने की,
पास ना आने की पीछा छुड़ाने की।
कैसे करूँ यकी कुछ करिश्मा तो दिखाओ
अपने होने का मुझे यकीन तो दिलाओ।।
शाहाना परवीन...✍️