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Dhirendra Panchal के बारे में

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Dhirendra Panchal की पुस्तकें

Dhirendra Panchal के लेख

राम वनवास

17 जनवरी 2023
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कवने करनवा होभईला बिरनवा होपथरो के आवत रोवाई होई पहुना ।।कहाँ बोला गांव बाटे गांव के का नाव बाटे राखि दा धनुहिया थकल होई पहुना ।।बबूनी सुनरकी हो धोतिया पुरनकी होमघवा में छहवां जड़ात होई

चला साढ़ू भाई

13 सितम्बर 2022
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एहर लालू कचालू खियउले हवें ।खाली मोदी जी चाय पे बझउले हवें ।चला साढ़ू भाई ।चला साढ़ू भाई सढ़ूआईन लेहलस बोलाय ,चला साढ़ू भाई ।चला साढ़ू भाई सढ़ूआईन लेहलस बोलाय ,चला साढ़ू भाई ।मंतरी बनब ना हम संतरी बनब ।हम तो

रामे क बरखा ह रामे क छाता

21 जून 2022
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पटरा पे चदरा बिछाय जालें सुती ।खाए के नून भात मरचा आ रोटी ।जिनिगी गरीब के अस होरहा भुजाता ।त रामे क बरखा ह रामे क छाता ।।मजूरे क देह मेह मारेला तान के ।सेतिहा क हइये बा जांगर किसान के ।पांजर में कांकर

ए बदरी

30 मई 2022
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सुखि गइलें पोखरा आ जर गइलें टपरी , ए बदरी । कउना बात पे कोहाइ गइलू ए बदरी । देखा पेड़वा झुराई गइलें ए बदरी । बनरा के पेट पीठ एक भइलें घानी । कहा काहें होत बाटे राम मनमानी । गोरुअन के बेटवा क पेटवा ह

बेजुबान

24 मई 2022
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बेजुबानों को बचाने की गजब साजिश चली  , देखकर व्यापार मरघट को पसीना आ गया । देखते ही देखते तकनीक ऐसी आ गई , छेदकर नथुनों को हमको दूध पीना आ गया । हो गए हैं बन्द बूचड़खाने जो अवैध थे , वैध वाले हंस र

कौन आएगा

21 मई 2022
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है धरा उदघोष करती लालिमा आकाश की । शुष्क होते ताल पोखर क्यों प्रतीक्षा प्यास की । चूक गया गर आज फिर तु कल कहाँ से पाएगा ? खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ? यह जमाना है तेरे संग ज

हनुमंता

4 मई 2022
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ढांढस बन्हाई के जोहाई समुझाई के त शक्ति के भान उ करउलैं जमवंता । साहस न बाटे केहू तोहरा के रोके टोके छेके डाँड़ डहरी हो चाहे भगवंता । सिया सुधि लेहि आवा देरी ना लगावा त ले सगरे प पुल दु बनइहें अभियं

बचकानी बातें

8 अप्रैल 2022
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तेरी ये बचकानी बातें , तेरी वो बचकानी बातें ।।हर रोज जगाया करती मुझको वो शैतानी बातें ।तेरी ये बचकानी बातें ……… हंसना और शर्माना तेरा करती दिल पे घातें ।पीछे मुड़ फिर आगे बढ़ती हो जाती बरसातें ।जुल्फ

बदरिया

5 अप्रैल 2022
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चान छुपउले जाली कहवाँ , घुँघटा तनिक उठाव । बदरिया हमरो केने आव । बदरिया हमरो केने आव । झुलस रहल धरती के काया छाया ना भगवान लगे । तोहरे बिना ये हो बदरी सब कुछ अब सुनसान लगे । लह लह लहके रेह सिवाने क

शारदा

5 अप्रैल 2022
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अंचरा के छाँव राखा दियवा के जार राखा , हियरा में ज्योति दा अपार माई शारदा । बुद्धि दा बिचार दा तू सरल सुभाव दा तू , प्रेम में अभाव नाही होखे माई शारदा । देहियां में जोर दा तू नेहियां में बोर दा तू ,

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