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कामिनी सिन्हा की डायरी

कामिनी सिन्हा

3 अध्याय
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kamini sinha ki dir

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पुस्तक के भाग

1

प्यार एक रूप अनेक

14 जून 2018
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" प्यार क्या है " सदियों से ये सवाल सब के दिलो में उठता रहा है और सदियों तक उठता रहेगा .इस सवाल का जबाब देने की सबने अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी की है ." प्यार" शब्द अपने आप में इतना वयापक और बिस्तृत है की इसकी वयाख्या करना बड़े बड़ो के लिए

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"माँ रुप तेरे "

18 अगस्त 2021
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जब भी स्वप्न कोई टूटा पलकों को सहला दिया शूल चुभा कोई दामन में होठों से दर्द चुरा लिया जब छलका आँखों में आँसूएक मीठी लोरी सुना दिया जब भी थका सामर्थ्य मेरा उम्मीद किरण दिखला दिया राह सूनी जब घुप्प अँधेरा पथ में दीपक जला दिया जब-जब जग ने ताने मारे आँचल में तुमने छुपा लिया पल-पल मुझे सँवारा तुमने हो

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"दे दो ऐसा वरदान..."

18 अगस्त 2021
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हे! जगजननी करुणामयी माता द्वार तुम्हारे आई हूँ। अक्षत-रोली, धूप-दीप नहींबस,श्रद्धा सुमन संग लाई हूँ। अपने अश्रु की धारा सेतेरे चरण पखारुँगी।प्रेम-समर्पण की माला सेतेरी छवि संवारुँगी। पूजा की मैं रीत ना जानू जप-तप का नहीं कोई ज्ञान।अर्पण तुझको तन-मन मातामैं ना जानू विधि-

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