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शरीर पञ्चात्मक, पाँचोंमें वर्तमान, छः आश्रयोंवाला, छः गुणोंके योगसे युक्त, सात धातुओंसे निर्मित, तीन मलोंसे दूषित, दो योनियोंसे युक्त तथा चार प्रकारके आहारसे पोषित होता है। पञ्चात्मक कैसे है? पृथिवी,

जीव का वास नेत्र कठं ओर हिरदे मे है जागृत अवस्थ मे नेत्र मे ध्यान मे कठं मे सोते वक़्त हिरदे मे होता है आत्मा को जान ने के लिए मन को वश करो सदा शरीर में होने वाली घटना को समझो ओर मेहसूस करो तो समज आ ज

मोक्ष पाना तुम्हारा अधिकार है सुख भोगने तुम्हार अधिकार है आनंद में रहना तुम्हारा अधिकार है अर्थ धर्म काम और मोक्ष अर्थ धर्म काम और मोक्ष के पुरुषार्थ करके मोक्ष पाना तुम्हारे अधिकर है तुम किसी के बंधन

हम दुनिया में देखते हैं की जितने भी लोग हैं मनुष्य हैं वह अक्सर चिंता में ही डूबे रहत रहते हैं लेकिन चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि जिस प्रकार एक राजा अपनी प्रजा को अपने पास रखता है तो उसका सारा खर्चा

காதல் என்பது வந்து விட்டால் மோதல் என்பது கூட வரும்நோதல் என்பது மனதில் இருந்தால்போதல் என்பது விடையல்லசாதல் என்பது முடிவானால்வேதல் என்பது விதியாகும்_ Abdul Halim  💕💕✅Explanation below 

Uncovering the secrets of Madison, VA's traffic law can help residents and visitors understand the rules of the road and navigate safely. Here's a guide to help you unravel the mysteries: Consult

|| Introduction || I have written the book with so much hard work ,dedication and a lot of curiosity and excitement.I wanted to involve all the workers and the publisher's activity ,their hard wo

Navigating through a contract dispute can be a daunting task, and selecting the right lawyer to represent your interests is crucial. Whether you're in Cedar Rapids or elsewhere, here are insightful ti

வணக்கம்,               நான் அப்துல் ஹலீம். தமிழகத்தின் கன்னியாகுமரி மாவட்டத்தை சார்ந்த ஒரு இசைக் கலைஞன். கின்னஸ், லிம்கா என பத்து உலக சாதனைகளை படைத்து உள்ளேன்.ச

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Cybersecurity has become an indispensable aspect of modern business operations, serving as a vital shield against a myriad of online threats. Implementing robust cybersecurity measures can significant

उसके मन में झांका तोबहुत गहरी ख़ामोशी थी अंदर ना कोई हलचल थी ना कोई आवाज़ जैसे किसी तूफ़ान ने तोड़कर उसे बिखेर दिया हो रेत बनाकर अभी - अभी गुज़रा हो जैसे चक्रवात उड़ा ले गया उसका जह

Overview IT (Information Technology) and cybersecurity teams both play crucial roles in an organization's digital infrastructure, but they focus on distinct areas of expertise. The IT team is primari

#poetry शिर्षक:" वो सबक थी मेरी जिंदगी का " एक खूबसूरत, रंग बिरंगी तितली, फूलों से उड़कर, मेरे जिशम् को छुकर, उड़ गयी । जाने किस तरह, मेरी निगाहों से, मेरे दिल में उतरकर, मुझसे, मेरे सपनों से जुड़ गयी । खूब हसाती, बिलखाती, प्यार जताती, हर पल, मेरे दिल के बाग़ीचे मे बिहार करती । मुझे लगा, फल है मेरी ,किसी बंदगी का, मुझे लगा ये मेरी मोहब्बत है, लेकिन वो सबक थी मेरी जिंदगी का... ।। जाने क्या हुआ, जलता चराग़ धुआ हुआ, जाने कैसी हवा लगी, किस मौसम ने उसको छुआ , एक पल मे कोई अपना, सपना हुआ, जाने कहाँ छिप गयी जाकर, एक उम्र तक मेरी नजरों को तड़पना हुआ । कोई बहकाया या बहक गयी, किसी और के बाग़ीचे मे जाकर, चेहेक गयी । रंग उतर गया मेरे चेहरे से, आशिकी का मुझे लगा ये मेरी मोहब्बत है... लेकिन वो सबक थी मेरी जिंदगी का ।। मै अकेले अंधेरों मे, खामोश रहा, उसकी वेदना मे मदहोश रहा । मैने सदिओं बाद, कलम कागज से साथ की, दिल की हर बात लिखा, और फिर खुद से बात की । अभी तक कोई इश्क़ का पैग़ाम नही आया, वो मिटा ही नही, जो रंग दिल मे समाया, दर्द, खामोशी, सबर, चिखना, सिसकना, मैने बहोत कुछ सिखा... जो कुछ भी मेरे हिस्से मे आया । मुझे लगा, वो मौजूदगी है मेरी, गैर मौजूदगी का मुझे लगा, वो मेरी खुदा की इबादत है... लेकिन नहीं..... वो सबक थी मेरी जिंदगी का... ।। Author Munna Prajapati #love #life #sadlife #sad #post #poetrylovers #poem #poetrychallenge #viralpage #writing #writes
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“Minutes in Diplomacy"   In the era, when 'push through' by the diplomacies across the globe is at high tide to prevent the possibility of a major conflict, acquaintance be

माता-पिता और बड़ों की बातें, समझो आशीर्वाद,  बीते  समय  के साथ  में,  बहुत  आयेंगे   याद ।    (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् " 

पिता पुत्र को टोंकता,  यह कीजो वह नाय,  अपनी गलती के सबक, बेटे को समझाय।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् " 

सोया,  खाया, करता रहा,   अमूल्य समय बर्बाद,  अस बालक सूखे तरु, चाहे जो डालो फिर खाद।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् " 

चैन दिवस का उड़ गया,  उड़ी रात की नींद,  ऐसे बालक से रखो,  आगे बढ़ने की उम्मीद ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् " 

कभी अघाया न थका, देते  तुम्हें  मन की पीर,  छह गज राखो फ़ासला,  जाओ न उसके तीर ।   (c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नीलपदम् "